बन्द हूँ कलम में श्याहि की तरह कुछ व्यक्त करूँ तो मुक्त बनूँ फिर भी बंधन से छूट कहाँ कलम छोड़ काग़ज़ से बंधूँ बन्धन तो बस सोच में हे हूँ कलम में तो सम्भावना हूँ हूँ काग़ज़ पे तो अभिब्यक्ति बनूँ
Rajiv dixit
Ojaswini Sharma
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