Duniya

शायद ही कोई एक ऐसा इंसान मिले इस जहान में, जिसने प्यार का स्वाद ना चखा हो, जिसका दिल ना टूटा हो, प्यार अधूरा ना रहा हो, या फिर उसने “ओशो” वाला एक तरफ़ा प्यार ना किया हो। सब कुछ लुटा के भी उसको एक नज़र देखने का जो मज़ा है, वो सिर्फ़ दिल ही जान सकता है, ना माँ-बाप, ना भाई-बहन, ना दोस्त-यार, और ना ही कोई रिश्तेदार। ख़ैर, यह अलग बात है कि जो आपके अंदर है उसे सिर्फ़ उस दिल तक पहुँचाओ कि वो धड़क उठे। तो अगर आप भी मोहब्बत की बारीकियों को, उसके मीठे पल, खट्टी बातें, कड़वी यादें और बेइंतहाँ प्यार के दौर से एक दफ़ा मेरे लफ़्ज़ों के रास्ते से गुजरना चाहते है, तो इस किताब को दिल से लगाकर पढ़ें और साँझा करें। -- "इज़हार"