Zooming | Nazm by Ashfaq Hussain | Narrated by Kaalikhh

देखूँ जो आसमाँ से तो इतनी बड़ी ज़मीं इतनी बड़ी ज़मीन पे छोटा सा एक शहर छोटे से एक शहर में सड़कों का एक जाल सड़कों के जाल में छुपी वीरान सी गली वीराँ गली के मोड़ पे तन्हा सा इक शजर तन्हा शजर के साए में छोटा सा इक मकान छोटे से इक मकान में कच्ची ज़मीं का सहन कच्ची ज़मीं के सहन में खिलता हुआ गुलाब खिलते हुए गुलाब में महका हुआ बदन महके हुए बदन में समुंदर सा एक दिल उस दिल की वुसअ'तों में कहीं खो गया हूँ मैं यूँ है कि इस ज़मीं से बड़ा हो

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