29: ज्यादा न सोचिए, कुछ करिए
हम सब चीजों को अपने काबू में करना चाहते हैं और, सब चीजें हमारे काबू में कभी नहीं होतीं। हमें चुनौतियों से पार पाने की कोशिश करनी चाहिए। पर, चुनौतियां आएं ही नहीं या नतीजे मन मुताबिक ही हों, यह जिद और बेचैनी हमें बीमार कर देती है। हमें कुछ नहीं करने देती। एक ही चिंता में अटकाए रखती है। सोचें नहीं तो कया करें, तेरी मेरी बात में आज इसी पर बात |