एनएल चर्चा 89: व्हाट्सएप जासूसीकांड और आरसीईपी पर गोविंदाचार्य से बातचीत

व्हाट्सएप के जरिए मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और बुद्धिजीवियों की जासूसी का मामला इन दिनों चर्चा में हैं. आरएसएस के विचारक और पूर्व भाजपा नेता गोविंदाचार्य ने अब इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाकर चर्चा में ला दिया है. गोविंदाचार्य ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की है कि व्हाट्सएप जासूसी मामले की जांच एनआईए से करवाई जाय और जो भी सच्चाई है उसे सामने लाया जाय. गौरतलब है कि गोविंदाचार्य अतीत में भी फेसबुक और गूगल को आदालत में घसीटते रहे हैं. उनका तर्क है कि इन कंपनियों की बैलेंस शीट की जांच होनी बेहद जरूरी है और साथ ही इन कंपनियों को भारत के नियम कायदों के दायरे में मजबूती से बांधने की दरकार है. गोविंदाचार्य का यह भी मानना है कि ये जितनी भी बड़ी टेक कंपनियां हैं वे कायदे से अपनी कमाई का टैक्स नहीं चुकाती हैं. उनसे टैक्स वसूली की प्रक्रिया की जांच होनी चाहिए. एक और मामला सर्वर का है. ये सब कह देती हैं कि सर्वर इनका सिंगापुर या कैलिफोर्नियां में हैं. अब अगर ये कोई गड़बड़ी वहां से करती हैं तो उन्हें भारत में कैसे एकाउंटेबल बनाया जाएगा इस पर सरकार विचार नहीं कर रही है इसलिए उन्हें सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाना पड़ा. इस मामले में सरकार जासूसी सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी एनएसओ ग्रुप से कोई जवाबदेही नहीं मांग रही है. अब तक जितनी बातें सामने आई हैं उसके मुताबिक व्हाट्सएप इस मामले में एक लिहाज से पीड़ित नज़र आता है जिसे एनएसओ के जासूसी सॉफ्टवेयर के जरिए निशाना बनाया गया है. इस सवाल पर गोविंदाचार्य कहते हैं, “हमें नहीं पता कि कौन सही बोल रहा है और कौन गलत. इसलिए एनआईए से जांच होनी चाहिए. सरकार क्या करती है यह उसका अपना मामला है. मैं तो सरकार में हूं नहीं.”इस मामले के तमाम अन्य पहलुओं पर भी गोविंदाचार्य से बातचीत हुई. साथ ही भारत के आरसीईपी समझौते से अलग होने, मोदी सरकार और स्वदेशी जागरण मंच के रिश्तों पर भी उन्होंने अपनी राय जाहिर की. पूरा इंटरव्यू सुनने के लिए यह पॉडकास्ट सुने. See acast.com/privacy for privacy and opt-out information.

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