एनएल चर्चा 72: पत्रकारों की गिरफ़्तारी, कठुआ रेप केस में आया फैसला और अन्य

बीता हफ़्ता विशेष रूप से पत्रकारों के लिए मुश्किल रहा. इस दौरान पत्रकारों के ऊपर असंवैधानिक रूप से हमले किये गये, उत्तर-प्रदेश और बिहार के स्थानीय पत्रकारों पर कानूनी कार्रवाई की गयी. इसी बीच स्वतंत्र पत्रकार प्रशांत जगदीश कनौजिया को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जुड़े एक ट्वीट के लिए गिरफ़्तार कर लिया गया. बाद में इसको लेकर काफी हंगामा हुआ और आगे जाकर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में प्रशांत को जमानत दे दी. पत्रकार से जुड़ा एक और मामला यूपी के शामली से है, जहां पर न्यूज़ 24 चैनल के पत्रकार अमित शर्मा के साथ मारपीट की गयी. साल 2018 में हुए कठुआ बलात्कार मामले में भी निर्णय आ गया है, जिसमें कोर्ट ने 6 अभियुक्तों को दोषी करार दिया है और 1 अभियुक्त को बरी कर दिया है. हाल में अलीगढ़ में एक बच्ची के हत्या की घटना हुई है, पिछली एनडीए सरकार में आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने एक लेख लिख कर जीडीपी के आंकड़ों की वैधता के ऊपर सवाल खड़े किये हैं. इसके अलावा देश-दुनिया के तमाम अन्य मुद्दों पर भी चर्चा हुई.चर्चा में इस बार शामिल हुईं वरिष्ठ पत्रकार व एनडीटीवी की कंसल्टिंग एडिटर नग़मा सहर. साथ में न्यूज़लॉन्ड्री के स्तंभकार आनंद वर्धन ने भी शिरकत की. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.अतुल ने बातचीत की शुरुआत करते हुए कहा कि, "कठुआ का मामला जब पिछले साल हमारे सामने आया था तो उस दौरान कई सारी बातें हुई, जिसमें हमने देखा कि जो भारतीय जनता पार्टी के नेता थे उन्होंने अभियुक्तों के समर्थन में रैली निकाली और मांग की थी कि उन्हें छोड़ा जाये. इसके अलावा जम्मू बार एसोसिएशन के भाजपा समर्थक वकीलों ने ऐसी अराजकता पैदा की थी कि पुलिस को अपनी चार्जशीट दाखिल करने में भी दिक्कत हुई थी और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे मामले की सुनवाई को पठानकोट की ट्रायल कोर्ट में शिफ्ट किया, जिसके बाद ये फैसला आया."कठुआ मामले में आये फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए आनंद ने कहा - ''देखिये, मै इस तरह के मामले को अपराध के तौर पर देखता हूं और जिसकी एक प्रक्रिया है और वह निचली अदालत में न्यायिक निष्कर्ष पर पहुंची है. इसको उसी तरह देखना चाहिए. यह इतना बड़ा देश है, यहां रोज़ हज़ारों घटनाएं होती रहती हैं. लेकिन कठुआ के अलग होने के कई कारण हैं, एक तो वह जिसकी ओर आपने संकेत दिया और एक घटना जो दरिंदगी थी, इसके कारण और जो नेशनल मीडिया में नेरिटिव बना, उससे मामला राष्ट्रीय सुर्खियों में रहा. लेकिन भारत को अभी ऐसी कई घटनाओं पर संवेदनशील होने की ज़रूरत है. और जहां तक पार्टियों की बात है, एक वर्ग है जिसे लगा कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो को इसकी जांच करनी चाहिए क्योंकि किसी एक समुदाय को निशाना बनाया गया. इस केस को किसी दूसरी तरह से रखा जा सकता था."इस मसले के साथ-साथ बाक़ी विषयों पर भी चर्चा के दौरान विस्तार से बातचीत हुई. बाकी विषयों पर पैनल की राय जानने-सुनने के लिए पूरी चर्चा सुनें. See acast.com/privacy for privacy and opt-out information.

2356 232

Suggested Podcasts

Karlsruhe Institute of Technology (KIT)

Linda Kardamis | Educational Consultant a Founder of Teach 4 the Heart

Bess Krasner

Kenan Institute for Ethics at Duke University

Portland Friends of the Dhamma

Los Angeles Times

Car Buying Guru

Denny Conn, Drew Beechum

Siddesh Vojhala

sisodia