मेर ज़िंदा रहने की ख़बर

लिजिए सुनिये मेरी क़िताब कामिनी से एक और नई कविता!!मेरे ज़िंदा रहने की खबर सभी को होगी मगर मेरे मरने की किसी को भनक ना लगेगी सब बनाएं रहेंगे मुझको खुदगर्ज़ अपने ज़हन मेमेरी बेगर्ज़ी की उनको कभी महक ना मिलेगी  करेंगे सब बातें बेपरवाही की मेरी  पर तबियत की मेरी फिकर ना रहेगी  मेरी ना पहुंच के वो शिकवे करेंगे  पर मुझ तक पहुंच की ललक ना रहेगी  ना मेरा साथ होना तो अख़डेगा उनको  पर मेरे साथ होने की चाहत ना होगी  दिखुंगा नहीं तो फिर वे बातें करेंगे  जो दिख जाउंगा मैं तो बाते ना रहेंगी  ना बोलुंगा कुछ तो सब मगरुर कहेंगे  जो बोलुंगा फिर तो बस जिल्लत हीं होगी  हसुंगा तो सब मुझको बेअदब कहेंगे  पर मेरे रोने की किसिको कसक ना रहेगी  चलुंगा मैं संग तो सफर ना कटेगा  रुक जाउंगा तो फिर महफिल ना जमेगी  गाउं अगर तो सब हंस देंगे मुझपर  ना गाउं अगर तो खुशी ना मिलेगी  मेरे ज़िंदा रहने मे एक भारीपन सा है पर  मर जाने से मेरे कुछ हल्का ना होगा  मेरी सांसे पडती है जिन लोगों को महंगी  थम जाने से चीज़ें कुछ सस्ती ना पडेंगी  

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