दर्द तेरा भी वही है

लिजिए सुनिये मेरी क़िताब कामिनी से एक और नई कविता!!दर्द तेरा भी वही है, दर्द मेरा भी वही हैना हम दोनो गलत है, ना ये बात सही हैखोया तुने भी बहुत कुछ, गवाया मैने भी बहुत हैजो साथ है बचा, हमारे हाथ वही है लगी है चोट जो तुझको, लगी है चोट वो मुझकोजो है सोचते हरदम, बस ये हालात वही हैघाव तेरा भी हरा है, घाव मेरा भी हरा हैदोनों की यादों मे अब सिर्फ मवाद भरा है राह तेरी भी वही है, राह मेरी भी वही हैमगर हम दोनो की तरफ मुडती कोइ राह नही हैरंग तेरा भी वही है, रंग मेरा भी वही हैपर दोनो के जीवन मे बचा अब कोइ रंग नही है शब्द तेरे भी वही है, शब्द मेरे भी वही हैमगर हम दोनों जो समझे, अब वो शब्द नही हैख्वाब तेरे भी कई हैं, ख्वाब मेरे भी कई हैंदोनों मिलकर जो देखे, ऐसा कोइ ख्वाब नही है सोच तेरी भी वही है सोच मेरे भी वही हैबस पहले के तरह, मिलती हुइ एक सोच नही हैअहम तेरा भी वही है, अहम मेरा भी वही हैबस ये एक ही शै है जो दोनो में सही है

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