मेरा अवगुण भरा रे शरीर, हरि जी कैसे तारोगे! स्वर गंगा आरोरा
जय गौर हरिमेरा अवगुण भरा रे शरीर,हरि जी कैसे तारोगे! प्रभु जी कैसे तारोगे!!न मैं छील खिलाए छिल्के,न मैं फ़ाडे चीथरे दिल केतेरी उंगली पे बाँधा न चीर,हरि जी कैसे तारोगे....!हरि जी कैसे तारोगे!प्रभु जी कैसे तारोगे!!भव सागर में कूद पड़ा हूँ,मोह माया में जकड़ा पड़ा हूँ,मेरे पाँव पड़ी जंज़ीर,हरि जी कैसे तारोगे...!हरि जी कैसे तारोगे!प्रभु जी कैसे तारोगे!!बार बार आने जाने में,जन्मों के ताने बाने में,मेरी उलझ गयी तक़दीर,हरि जी कैसे तारोगे....!हरि जी कैसे तारोगे!प्रभु जी कैसे तारोगे!!चाहे लाख खामोश रहूं मैं,कितना भी निर्दोष रहूं मैं,मैं हूँ त्रुटियों की तस्वीर,हरि जी कैसे तारोगे!प्रभु जी कैसे तारोगे!!मेरा अवगुण भरा रे शरीर,हरि जी कैसे तारोगे! प्रभु जी कैसे तारोगे!!⏰ 03:43: किशोरी दासी (अंजुना जी