द्वितीय अध्याय भाग 20 कर्मण्येवाधिकारस्ते श्लोक की सुंदर विस्तृत विवेचना कर्म योग का उपदेश
द्वितीय अध्याय की भाग संख्या 20 श्लोक 47 एवं 48 में श्री कृष्ण अर्जुन को बता रहे है कि कर्म के महत्व को बतला कर कहते हैं कि कर्म करना मनुष्य की कर्तव्य है अतः बिना आ सकती मोह ममता के कर्म करना चाहिए। --- Send in a voice message: https://anchor.fm/kiran-acharya/message