द्वितीय अध्याय भाग 11 सुख दुख में समभाव रख सत असत का ज्ञान कर धैर्य धारना ही मुक्ति पथ

आत्मा की नित्यता और निर्विकारता का निरूपण करते हुए भोगों का अनित्य बतला कर सुख दुख में समभाव रखकर सहन करने के लिए कहा है क्योंकि सहनशीलता ही मोक्ष प्राप्ति की हेतु है सत-असत परमात्मतत्व और जड़ तत्व अपरिवर्तनशील और और परिवर्तनशील के लक्षण पता कर अर्जुन को युद्ध करने की आज्ञा देते हैं --- Send in a voice message: https://anchor.fm/kiran-acharya/message

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