( I )
वो मै जिसे मै बोहोत पीछे छोड़ आया हूं , और वो मै जो मै अब हूं । ये कविता इन दोनों मै के बीच में कहीं है। वैसा जैसे कि हम किसी नोट बुक लिखते चलेजा रहे हो और बाद में हमें एहसास हो कि हमने पीछे कहीं बीच में दो पन्ने खाली छोड़ दिए हैं । उम्मीद है आपको समझ में आ गई होगी।