जुदाई Episode 42

Here’s an episode that will keep you waiting for the next one. This poem is written by Rizwan khan sultan alig जुदाई जिंदगी में ये क्या हादसा हो गया वो मुझे छोड़ कर अब जुडा हो गया सोचता हूं मैं ये बेबसी में कभी जाने किस बात पर वो खफा हो गया ले गया चीन कर दिल के अरमान को इश्क की राह में क्या से क्या हो गया जिस से कहता था मैं अपने हर राज को हां वो ही हमनवा बेवफा हो गया उस के bin अब तो जीने की आदत हुई दर्द ही मेरे दिल की दवा हो

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