Nazar bhar dekh le

नजर भर देख ले मुझको शरण में तेरी आया हूं कोई माता पिता बंधु सहायक है नहीं मेरा काम और क्रोध दुश्मन से बहुत दिन से सताया हूं भुलाकर याद को तेरी पड़ा दुनिया के लालच में माया के जाल में चारों तरफ से मैं फंसाया हूं कर्म सब नीचे हैं मेरे तुम्हारा नाम है पावन तार संसार सागर से गहन जल में डुबाया हूं छुड़ाकर जन्म बंधन से चरण में राख ले अपनेवो ब्रह्मानंद में मन में यही आशा लगाया हूं

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