औपचारिक रहा ना वो कल चाहिए था

(अल्लहड़ बनारसी और रमती बंजारन) जिसके (लेखक शरद दुबे) और (वक्ता RJ रविंद्र सिंह) है  !औपचारिक रहा ना वो कल चाहिए था सफर के लिए हम सफर चाहिए था चले संग हमारे वो मन चाहिए था रहीं जो खुशी वो हर पल चाहिए था कुछ सोचा जो पल चाहिए था औपचारिक रहा ना वो कल चाहिए था सफर के लिए हम सफर चाहिए था  चले जो सफर में वो हम सफर चाहिए था रहे संग जो साथी वो पल चाहिए था गुज़रा जो बचपन वो कल चाहिए था बीते लम्हों के बचपन का कल चाहिए था औपचारिक रहा ना वो कल चाहिए था सफर के लिए हम सफर चाहिए था

2356 232

Suggested Podcasts

Jase Bennett

Mohit Chawla99

The Complex Trauma Training Center

The Lawfare Institute

Community Associations Institute Illinois Chapter

Studio Knox

Manan Maheshwari