कल फिर से बारिश आई थी

(अल्लहड़ बनारसी और रमती बंजारन) जिसके (लेखक शरद दुबे) और (वक्ता RJ रविंद्र सिंह) है  !कल फिर से बारिश आई थी कुछ यादे वो संग लाई थी यादों का कोना आया था कुरेद कर यादे लाया था तुम फिर ना आने वाली थी यादे खाली ही लाया था कल फिर से बारिश आई थी कुछ यादे वो संग लाई थी बोला था कुछ यादे भी थी संग में वो बातें भी थी वादों कि भरमार पडी थी वो बोली कुछ याद पडी थीकल फिर से बारिश आई थी कुछ यादे वो संग लाई थीयादें कुरेद कर जब देखा था ताजा यादें अब भी प़डा था बारिश को तो फिर आना था यादों को फिर धूल जाना था कल फिर से बारिश आई थी कुछ यादे वो संग लाई थी

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