आज फिर सोमवार आया होगा

आज फिर सोमवार आया होगा आफ़िस का रूख अपनाया होगा नयी नयी जो ऑफिस होगी नये नये फिर लोग मिलेंगे नयी नयी कुछ बातें होंगी यूं ही कटी कुछ रातें होंगी सब कुछ नया नवेला होगा फिर वही पुराना रेला होगा कुछ लोग नये फिर मिलते होंगे बातें कुछ यूं ही चलते होंगेकुछ लोगो से जब बातें होंगी गुज़री हुई जब रातें होंगी जिक्र गुजरकर जब आएगायाद भी जब मेरा आएगा जिक्र से तुम कतराती होगी आफ़िस का रूख अपनाती होगी बातों से जब तुम आती होगी बात बदल कर जाती होगी नए नए कुछ लोग मिलेंगे नयी नयी कुछ बातें होंगी

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