आज एक बार उसको भी मेरी याद तो आई होगी
(अल्लहड़ बनारसी और रमती बंजारन) जिसके (लेखक शरद दुबे) और (वक्ता RJ रविंद्र सिंह) है !आज एक बार उसको भी मेरी याद तो आई होगीकिसी और के हाथों ने जब उसको रंग लगाई होगीफिर से घाटों तक वो चलकर के आई होगीचिता भस्म कि होली देख पछताई होगीरही अकेले खड़ी याद उसको भी तो आई होगीनाव पकड़ कर वो अकेली क्या चल पाई होगीया फिर घाट पर खेल होली फिर आई होगी BHU के सारे बच्चे भी तो आए होंगेहोली का माहौल को फिर वो बनाएं होंगेशाम का अपना एक अलग माहौल जो होगाउस बदले माहौल में वो ढल पाई होगीया फिर उसको याद फिर मेरी आई होगीआज शाम कि आरती अलग माहौल जो होगालिए गिटार BHU के बच्चे जो वो आए होंगेवो भी अपना अलग माहौल जमाए होंगेआज एक बार उसको भी मेरी याद तो आई होगीकिसी और के हाथों ने जब उसको रंग लगाई होगी