याद है या फिर भूल गई मैं आजा याद दिलाता हु
(अल्लहड़ बनारसी और रमती बंजारन) जिसके (लेखक शरद दुबे) और (वक्ता RJ रविंद्र सिंह) है !याद है या फिर भूल गई मैं आजा याद दिलाता हु बारिश में हुई पहली मुलाकात की याद ताजा कराता हुयाद है आफ़िस के वो दिन जब साथ में आया करते थे बारिश का बहाना करके अक्सर लेट हो जाया करते थे जब होती थी नोक झोंक अच्छे से हमे सुनाती थी एक दूसरी कि खामोशी में हफ्तों व्यक्त गवाती थी होती थी अपनी बातों में वो हमे समझाया करती थी बातों ही बातों में कसमें वादे भी निभाया करती थी कभी कभी जब खो जाने का डर सताया करता था रात मे खुद जाग जाग कर हमे सुलाया करती थी याद है या फिर भूल गई मैं आजा याद दिलाता हु बारिश में हुई पहली मुलाकात की याद ताजा कराता हुसुना है बारिश आज हुई शहर वालों को कहते हुए बारिश पहली बार हुई शहर वालों को कहते हुए पहली बारिश मे आने का वादा करवाया करती थी सुना है तुम हमको छोड़ गयी शहर वालों को कहते हुए छोड़ कर कहीं और गयी शहर वालों को कहते हुए याद है या फिर भूल गई मैं आजा याद दिलाता हु बारिश में हुई पहली मुलाकात की याद ताजा कराता हु