फिर से एक बार फ़रवरी आयी होगी

(अल्लहड़ बनारसी और रमती बंजारन) जिसके (लेखक शरद दुबे) और (वक्ता RJ रविंद्र सिंह) है  !फरवरी आयी होगी फिर से एक बार फ़रवरी आयी होगी !फिर से किसी कि मुलाकात कराई होगी !! कितनो ने कितने अपनो को खोया होगा !आज तो उसको भी याद हमारी आयी होगी !!वो शाम फिर से तो आयी होगी !कितनो को अपनो से दूर कराई होगी !!उसको भी वो घाट तो याद आया होगा !उसने भी अस्सी घाट पे दिप जलाया होगा !!क्या फटे पुराने यादे लेकर आयी होगी !यादों कि गठरी चुनकर रख पायी होगी !!उन यादों मे अपना भी एक कोना होगा !या फिर गुजरा वक्त भूलाकर आयी होगी!!सफर आज क्या उसका भी अकेला होगा !या फिर उसके पास लगा एक मेला होगा !!वो शाम फिर से तो आयी होगी!कितनो को अपनो से दूर कराई होगी !!क्या खुद के प्रश्नो के उत्तर खुद से पायी होंगी !या फिर उसको याद हमारी आयी होगी !!क्या वो वही पुरानी आदत को रख पायी होगी !या खुद को वो फिर से मूर्ख बनाई होगी !!खुद को खुद कि बातो मे उलझाती होगी!फिर कैसे उन बातो को वो सुलझाती होगी !! फिर से एक बार फरवरी आयी होगी !कितनो कि कितनो से बात कराई होगी !!वो शाम फिर से तो आयी होगी!कितनो को अपनो से दूर कराई होगी !!

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