तुम्हारे हिस्से कि जगह आज भी खाली है!

(अल्लहड़ बनारसी और रमती बंजारन) जिसके (लेखक शरद दुबे) और (वक्ता RJ रविंद्र सिंह) है  !तुम्हारे हिस्से कि जगहतुम्हारे हिस्से कि जगह आज भी खाली है!तुम्हारे जाने के बाद रात आज भी काली है!!हमने अक्सर नाउम्मीदी मे रात गुजारी हैं!वो बीते हुए दिन कि शाम अक्सर अकेले गुजारी है !! गुजरे हुए वक्त कि याद फ़िर से आने वाली है !फ़िर से एक बार हाथ नाउम्मीदी ही लगने वाली है !!तुम्हारा और नाउम्मीदी का रिस्ता बड़ा प्यारा है !!जब साथ हुआ करते थे उम्मीद हुआ करती थी जब पास हुआ करते थे उम्मीद हुआ करती थी जब रात गुजारा करते थे उम्मीद हुआ करती थी कैसे कहूँ अब तुमसे कि नाउम्मीद का नाम तुम्हारा है !वो शहर हमारा अपना था वो गली हमारी अपनी थी!! जहा साथ कई राते गुजरी वो रात हमारी अपनी थीमै तेरे शहर का मुसाफिर था कही और से चलकर आया था !याद है जब तुम आये थे वो वक्त हमारा अपना था !!वो गुजरे वक्त कि बात रही और वो वक्त भी अब गुजर चुका!!गुजरे हुए वक्त को लेकर कौन बैठकर रोता है !भागदौड कि इस जिन्दगी मे जो रुका वो सब कुछ खोता है !!

2356 232

Suggested Podcasts

Kinsey Roberts and Lindsay Lucas

Dietitian Connection

Locked On Podcast Network, Wes Goldberg, David Ramil

Dr. Lori Friesen, Elementary Classroom Management Tips for New Teachers

Justin Lascek: Special Forces Green Beret

cedzXtech