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“प्रथमं तु गुरु पूज्या "— साधक को सर्वप्रथम गुरु पूजा करनी चाहिए। क्या गुरु की पूजा तुलसी, पुष्प, माला से 'सीधे' करनी चाहिए या गुरु की पूजा प्रसादी से करनी चाहिए? गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय में पिछले 500 वर्षों में किस प्रकार किया जाता है- श्रीश्री 108 शचीनन्दन जी महाराज वर्णन करते हैं।