Gaura Dāsa in Nitya Navadvīpa… but Nitya Vraja svarūpa~ Unknown…!! Really??

Iskcon में बताया जाता है कि एक स्वरूप में हम गौर दास हैं किन्तु दूसरे स्वरूप (व्रज के स्वरूप) का हमें नहीं । क्या यह संभव है ??चैतन्य चरितामृत, चैतन्य चन्द्रामृत, तुलसी आरती, गुरवाष्टकम् आदि अनेक शास्त्रों के माध्यम से महाराज जी सुस्पष्ट कर रहे हैं कि हमारा, गौड़ीय वैष्णवों का व्रज में क्या स्वरूप होता है।

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