लाल मेरी सुरंग चूनरी भींजे। स्वर सेवा: *किशोरी दासी (अंजुना जी)

*जय गौर हरि* *लाल मेरी सुरंग चूनरी भींजे।* लेहु बचाय आप पिय मोकों बूंद परे रंग छीजे। बरखत मेह रहे नहीं नेंक हु कहा उपाय अब कीजे। हम तुम कुंजभवन में चलिये मान सबे सुख लीजे।।2।। ऐसो समयो बोहोर न व्हे हे मेरो कह्यो पतीजे। श्रीविट्ठल गिरिधरन छबीले निरख-निरख मुख जीजे।।3।। स्वर सेवा: *किशोरी दासी (अंजुना जी)*

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