तेरी बाट निहारे राधा

जय गौर हरि तेरी बाट निहारे राधा साँवरिया आजा रे आजा साँवरिया आजा! सिर पर है गोरस की मटकी तेरे दरस हित पथ में अटकी आजा ओ चित चोर कन्हाई ठाड़ी तेरी गुजरिया। बार बार यमुना तट जावे आ वे मोहन दरस दिखा वे घर से यमुना यमुना से घर डोले बीच डगरिया। चढ़ी अटरिया काग उड़ावे प्रेम पुजारिन बलि बलि जावे खान पान पहरान भूल गई लागी तोसे नजरिया। दरस दीवानी सुधि बुधि खोके नयन गँवाये रही रो-रो के

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