मैं बॅॉके की बॉंकी बन गयी स्वर सेवा: दासी अंजुना जी
मैं बॅॉके की बॉंकी बन गयी स्वर सेवा: दासी अंजुना जीबाँके पी से.....मैं बाँके की बाँकी बन गई बाँका बन गया मेराबड़े भाग्य से मिले रंगीले-बाँके रसिक बिहारीपरम् सुहाग ..सौन्दर्य सींव वे-अद्भुत प्रेम पुजारी!श्यामल घन की नित्य चातकी.. उनसे सर्वस्व मेरामैं बाँके की बाँकी बन गई बाँका बन गया मेरा मेरी उनकी प्रीत पुरानीजन्म-जन्म की दासीउन्हीं में नित जीती बसती,फिर भी रहती प्यासी?प्यास उसी चिर संगी कीवह नित्य अभीप्सत मेरा!मैं बाँके की बाँकी बन गई बाँका बन गया मेरा "अग-जग", "इह-पर",बलि हो गए-उन पर ही अनजानेमैं अनजान...सदा सब जानें-प्रीतम परम् सयानेअपनी मंगल कृपा कोर से कर्ष लिया सब मेरा!मैं बाँके की बाँकी बन गई बाँका बन गया मेरा