Mere yaaro namak to zakham ka marham nhin hota(Haa

किसी का दर्द केवल पूछने से कम नहीं होता मेरे यारों नमक तो ज़ख़्म का मरहम नहीं होता, यकीं है उसपे अच्छी बात है लेकिन ये रखना याद कि पूरे साल भर में एक सा मौसम नहीं होता, नशा हो या मोहब्बत हो उतरती चढ़ती रहती है उतर जाये मोहब्बत फिर तो कोई गम नहीं होता, पसीना बह गया था काटने में इक पुराना पेड़ मुझे लगता था बूढ़ों में तो इतना दम नहीं होता, मेरे दुश्मन गिराकर सोचते हैं हार जाऊँगामगर ये हौसला मे

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