" शिव प्रेम में "सती" हो गये थे
Part 1 वो सती थी,शिव के बाएं हिस्से में विद्यमान या फिर वो शिव थे सती के दाहिने हिस्से में विद्यमान। शिव आप मेरे विछोह में 'सती' हो गये है और मैं आपके प्रेम में 'शिव' शिव के अंतर्मन में सती की आवाज़ गूंजते हुए दूर हो रही थी। "शिव, प्रलय नहीं प्रारब्ध..मृत्यु नहीं जीवन" अब शिव के लिए आंखों को बंद रखना मुश्किल था। उन्होंने अपने नेत्र खोले.. कैलाश के क्षितिज पे भोर का सूर्य पूर्ण लालिमा के साथ चमक रहा था। प्रलय पूर्णतः टल गया था। " शिव प्रेम में "सती" हो गये थे "