रंगमहल घाट

ये कहानी बनारस में रहने वाली कोठेवाली तबायफों की है, देश गुलामी की जंजीरो में अंग्रेज़ी हुक़ूमत के आधीन था,बनारस के घर घर में आज़ादी की पाने के लिए नौजवान इन कोठा संस्कृति के माध्यम से क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल थे और इनकी आर्थिक मदद यही नाचने गाने वाली करती थी,/देश के प्रति इनकी देशभक्ति आज भी याद की जाती है.

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