Featuring Raghav Chauhan || भाई दूज या यम द्वितीया || SIV Writers

More about Raghav : Raghav Chauhan hails from a village of Distt Moradabad, Uttar Pradesh. He is an Indian Writer, Author, 9TM's National OR International Book of Records Holder And Podcaste Artist. He has achieved a lot of achievements in literature but he faced a lot of struggle during his journey. He belongs to a middle class family but his writing skills are much strong. He writes on many topics but Spirituality is most topic of him. He has written many quotes and poems on LIFE. Raghav Chauhan is an inspired person and being an inspiration for others. His book Jivan-manthan is based on life principals. Thus, Raghav Chauhan has own title "Fame Behind Pain."Content :हैलो एवरीवन, मेरा नाम राघव चौहान है और मैं उत्तर प्रदेश के जनपद मुरादाबाद के एक छोटे से गांव से हूँ। मैं बचपन से ही आध्यात्म के प्रति रूचिकर रहा हूँ, क्योंकि मैनें यह पाया है कि आध्यात्म ही धर्म और कर्म पथ पर चलने का मार्गदर्शन प्रदान करता है। अभी हम सभी दीपावली के पर्व को हर्षोल्लास के साथ मना रहे हैं। यह हम सभी के लिए सौभाग्य की बात है। हमारी भारतीय संस्कृति में प्रत्येक पर्व का किसी ना किसी पौराणिक घटना से सम्बन्धित होना बताया गया है। इसी क्रम में "भाई दूज या यम द्वितीया " पर अपने विचार प्रस्तुत करना चाहता हूँ। हमारे लिए प्रत्येक पर्व के महत्व को जानना बहुत आवश्यक है। शास्त्रों के अनुसार भगवान सूर्य का विवाह संज्ञा के साथ हुआ था, जिससे उन्हें दो संतानों की प्राप्ति हुई। उनमें से पुत्र का नाम यम अर्थात् यमराज और पुत्री का नाम यामी अर्थात् यमुना था। यम अपनी बहिन यमुना से अगाध प्रेम करते थे, परंतु अपने कार्यों के प्रति व्यस्तता के कारण वे अपनी बहिन से मिलने नहीं जा पाते थे। एक बार यम पृथ्वी पर भ्रमण करते हुए अपनी बहिन यमुना के घर पधारे। भाई को अचानक देखकर यमुना बहुत प्रसन्न हुई और उनका बहुत आदर-सत्कार किया। यह देखकर यमराज ने अपनी बहिन यमुना को बहुत सी अमूल्य भेंट प्रदान की और एक इच्छित वर मांगने को कहा। तब यमुना ने कहा कि हे भ्राता! मैं चाहती हूँ कि आप प्रत्येक वर्ष इसी तिथि पर मेरे घर पधारें और मेरा आतिथ्य स्वीकार करें। बहिन के ऐसे वचन सुनकर यमराज ने तथास्तु कहा और इस प्रकार से यमराज प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को अपनी बहिन के घर जाते और उनका आतिथ्य स्वीकार करते। इस प्रकार इस पर्व का हमारी संस्कृति में बहुत महत्व है। यह भाई-बहिन के पवित्र बंधन का प्रेम भरा एक सूचक है।

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