Featuring Pratishtha Bisht || मेरे अधूरे सपने || SIV Writers
More about Pratishtha Bisht : "Myself Pratishtha Bisht. I am a class 12th student from Srinagar Garhwal, Uttarakhand. I study in Rainbow Public School. I love to pen down my thoughts. I have worked in several anthologies as a Co-author and currently I am compiling my own as well .I have also worked for an NGO as a content writer."मेरे अधूरे सपने :मेरे अधूरे सपने ,जिनका गला मैंने खुद घोटा है.... क्योंकि मेरा सपना ,मेरे अपनों की नज़र में बहुत छोटा है llबहुत खुशनसीब होते हैं वो, जिन्हें अपनों का साथ मिलता है ;और वहीं किसी कोने में कोई, अपने होंठों की बात सिलता है llचुप होजाता है वह ,हार अपनों से जाता है.. बांध खुद की काबिलियत को, खुश कौन भला रह पाता है?! अंदर ही अंदर सहता रहता ,वह चेहरे से दर्द नहीं जताता है lकहने को बातचीत भी करता ,पर अपना हाल नहीं बताता हैllआज पूछ रहा है वह खुद से, आखिर में वह कौन है!?जो अपने ही परिवार के सामने ,आज बेकसूर होकर भी मौन है lजिसने अपने आपको , किसी और के खा़तिर घुट-घुट के जीना सिखाया है....और यह फैसला लेकर उसने, एक बेटे होने का फर्ज़ निभाया है.... कुछ शब्द अपनों के ऐसे ,मानो जैसे कटारी हो; दिल से साफ हो ना हो, पर नौकरी हमेशा सरकारी हो lसमाज के डर से आज ,क्यों तुमने उसके पंखों को काट दिया ?जिसे संजोकर रखा हमेशा ,क्यों उसे खुद से बांट दिया?.....