Featuring Chandan Anju Mishra || विदाई || Scribblers संग्राम || SIV Writers
About Chandan : चंदन मिश्रा एक बड़े से शहर के छोटे से कस्बे की बड़े - बड़े सपने देखने वाली लड़की। रांची से जमशेदपुर अाई ,2017 से टाटा स्टील में कार्यरत, लिखना प्रेम है जिसका,तीन साल पहले लिखना शुरू किया अपने जज्बातों को पन्नों पर उकेरने के लिए।राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित सम्मान पत्र प्राप्त किया ।7 से ज्यादा पुस्तकों में कृतियां प्रकाशित हो चुकी हैं।पुराने गाने और हिंदी से बेशुमार मोहब्बत है।अपनी पुस्तक चंदन सुगंध शब्दों की भी लिख चुकी हैं।पहली बार 2019 में मंच पर कदम रखा,ज़िंदगी के हर रंग को पन्ने ओर उकेरने की कोशिश,दहेज,बाल विवाह,जैसी सामाजिक कुरीतियों से लेकर प्रेम और विरह रस,ग़ज़लें,नज़्में लिखने का शौक है।विदाई :माँ बाप कलेजे के टुकड़े को, कैसे विदा कर पाते हैं,बिटिया को अपनी वो कैसे, खुद से जुदा कर पाते हैं।वो माँ जिसने जन्म दिया,वो बाप जिसने गोद में खिलाया।वो भाई जिसे बचपन से,घरवालों की डाँट से बचाया।ये घर यहाँ की गलियाँ, सारे पीहर के रिश्ते नाते।बचपन की सखियाँ और,मायके की सारी यादें।जिस अंगने में गूंजी थी, बचपन में उसकी किलकारी।छोड़ उसे आज चली ,क्यों बिटिया रानी प्यारी।आज देखो चली है बेटी,अपनों से नाते यूँ तोड़ के,सात फेरों से बंधी अब,नए रिश्तों को जोड़ के।एक ओर खुशियाँ हैं,रिश्ते नए बन जाने पर,लेकिन दिल को दुःख ज्यादा है,अपनों से दूर जाने पर।गुड्डे गुड़ियों से खेलने वाली,बेटी आज इतनी बड़ी हो गई।सोलह श्रृंगार कर के देखो,दुल्हन रूप में खड़ी हो गई।कैसी ये रीत दुनिया की,विधाता ने बनाई है।कलेजे पर पत्थर रख,कर रहे माँ बाप विदाई है।हो रही अब पीहर के नातों से,एक लम्बी जुदाई है।शायद इसलिए कहते हैं,बेटी धन पराई है।-©चंदन अंजू मिश्राunheard_jazbaat