Featuring Avantika Sahu || एक कोरा पन्ना! || चक्रव्यूह को भेदों
चक्रव्यूह को भेदों is a grand contest brought to by Scribbling Inner Voice, अंदर की आवाज़ and कलम की ध्वनि. The competition comprises of 2 rounds and contains amazing perks for winners and participantsMore about Avantika Sahu :Addressed by the name Avantika Sahu, is an inhabitant of Madhya Pradesh, pursuing Chartered Accountancy as her Profession. At the same time she's following her writing passion. Writing flows like blood in her veins. She loves to fill the paper with the fragrance of the ink. Loves to write on the topics that break general stereotypes. Audacious in nature she loves to learn and explore new folds of life. She's fond of mandala art too.एक कोरा पन्ना! :हज़ारों पन्नों पर भिन्न अल्फ़ाज़ लिखें हैं,फिर क्यों एक कोरे पन्ने में मेरे जज़्बात छुपे हैं?कुछ अनकहा अनसुना उस पन्ने ने जाना है,भरे पन्नों से ज्यादा, उसने मुझे अपना माना है।अलग-सी ख़्वाहिशों से इस पन्ने को सजाना है,इसीलिए खाली इसे रखना, अभी एक बहाना है।काली स्याही से इसमें रंग भर के दिखाना है,आख़िर इसी ने तो मेरे खालीपन को जाना है।वो सारे भरे पन्ने कुछ न कुछ हमसे बोलते रहते हैं,अपने अनगिनत लफ़्ज़ हर दफ़ा हमें भेजते हैं।फिर भी वो एक चुप्पी मचा देती है इतना शोर,जिसने पकड़ा है उस एक कोरे पन्ने का छोर।अहमियत करते तुम किसकी, ज़रा सोचना!उसकी; नहीं मुमकिन जिसे अब और भरना?या फिर वो जिसमें उतार सकते हो अपने जज़्बात,और सौंप सकते हो उसे अपने मन की हर बात।चाहे सफ़र हो, अंत या फिर मंज़िल का आगाज़,हर भाव को समेटने का रखता है यह अंदाज़।देखना तुम हर पन्ना, चाहे कल या फिर आज,भरे पन्ने से ज्यादा मिलेंगे, एक कोरे पन्ने में राज़।फाड़कर भी आख़िर फेंकते हो तुम वही पन्ना,जिसको मुमकिन नहीं होता है और भरना,लिखना हो कुछ भी, तो कोरा पन्ना ही ढूँढते हो,क्योंकि अपने विचार तुम उसी में भर सकते हो।इसीलिए ज्यादा लगाव है मुझे उन कोरे पन्नों से,जिनको कभी भी भर सकती मैं अपने किस्सों से,क्योंकि कुछ अनकहा अनसुना उन्हीं ने जाना,भरे पन्नों से ज्यादा, उन्हीं ने तो मुझे अपना माना।©️Avantika SahuInsta id- expressed_via_pencil