Featuring Kumkum Pradhan || दो फूल || चक्रव्यूह को भेदों
चक्रव्यूह को भेदों is a grand contest brought to by Scribbling Inner Voice, अंदर की आवाज़ and कलम की ध्वनि. The competition comprises of 2 rounds and contains amazing perks for winners and participantsMore about KumKum Pradhan : Kumkum , she is a girl with passion for her writing of her feelings on different archives.Writeup :तू टूटा था टूटा ही रहेगा,ख्वाबों में मेरे हमेशा आता ही रहेगा,फूल जो दिया था तूने मुझे सदा महकता रहेगा।यादों को सहेज कर रखा है न तूने मेरे??ये सवाल हमेशा सताता रहेगा।।ख्वाब समझ के भुलाऊंगी नही,गलती समझ के सुधारूंगी नही,हो सके तो आजा वापस , तुझे और सताऊंगी नही।वो रात ही क्या जिसमे चांद नही,वो सवेरा ही क्या जिसमे सूरज नहीं,वो फूल ही क्या जिसमे खुशबू नही,ये जिंदगी ही क्या जिसमे तुम नहीं,इसीलिए ये जिंदगी हम तुम्हारे बिना कबूल नहीं।हो सके तो आजा वापस तुझे और इंतज़ार कराऊंगी नही।।रुख मोड़ लिया है अब उस फूल ने अपना,बस हो गया अब ये रूठना मनाना।ख्वाबों में जब आता है तू,उठ कर बेइंतहा शराफत के साथ उस खुदा से एक ही सवाल पूछती हु " क्या था ये एक सपना?"" क्या था ये एक सपना?"तू कभी एक दफा बताया तो कर, की तेरा वहा मन नहीं,और देख खुदा का वो हर एक मंसूबा चाहेगा तुझे भूलना।वो कब्र मुस्कुराती है, वो जगह मुस्कुराता हैवो फूल भी मुस्कुराती है।ऐसा क्यों लगता है कि मुस्कुराहट दे दी है उन्हे तूने,क्या खयाल नही तुझे इस जहान में अपनी जान का??क्योंकि हाथ, पैर, मांग और दामन तो पद गए है मेरे भी सुने।फिर क्यों दे दी मुस्कुराहट अपनी उन्हे तूने??तू टूटा था टूटा ही रहेगा, ख्वाबों में मेरे हमेशा आता ही रहेगाफूल जो दिया था तूने मुझे वो सदा महकता रहेगा।यादों को सहेज कर रखा है न तूने मेरे??ये सवाल हमेशा सताता रहेगा।क्योंक साथ तेरा मेरा हमेशा बना रहेगा।छोड़ा है ये जहान मेने पर शायरा बन गई हो तुम,अब इस रूठने मानने में कहा हो गई हो गुम।वो बात ही नहीं अब इस सफेद कपड़े से लिपटे में,चाहे जितना भी लागलो तुम हरा ,नीला ,काला कुमकुम,वो बात ही अलग थी, जब मेरे ही नजरों के सामने मेरे ही लिए सवरती थी तुम ।।चाहे उस जहान में हो या इस जहान में,फिदा तो आज भी हु तुम्हारे कांधे के तिल में।।में पौधा हु तो फूल हो तुम, कांटो का क्या है वो तो आते रहेंगेऔर हमारी बातों का क्या है वो तो होते रहेंगे।।मुरझने मत दो मेरी फूल इस फूल को,ज़रा खयाल रखो और भर दो थोड़ी सी जान इस जहान में,एक बार और तुम्हारे अदा और हुस्न को देखना चाहूंगा में।।अब यू रोज़ रोज़ मेरे कब्र पर कोरे कागज़ सा आओ ना,बस एक बार और तुम्हारे अदा और हुस्न को देखना चाहूंगा में।इस कोरे कागज़ को रंगो से भर के उस गजरे और लाल जोड़े में आओ ना।।रोना मत तुम, में अब भी तुम्हारे साथ हूं।ये वादा है मेरा, की में साया हु तुम्हारा।।यू क्यों बोलती हो तुम, में अब भी ढाल बन कर खड़ा रहूंगा,कोई आँख उठा कर तो देखे तुम्हे में उसे जहनूम दिखा दूंगा।।बस यू खुदको बेकस और बेबस की रस्सी से न बांधो,ये देख में रह नहीं पाऊंगा।।मेरी हीर हो तुम, मीठे गुड का खीर हो तुमयू खीर में नमक ना डालो, करेले सी कड़वी न बनोज़रा खुदको एक दफा प्यार से देखो,आज भी वही चाशनी सी मीठी होज़रा मिठी मिठाई तो बनो।।तुम्हारे बाल बिखरे नही, बिखराया गया हैकंगन टूटे नही, तोड़ा गया हैझुमके गिरे नही, गिराया गया हैघुंगरू टूटे नही, तोड़ा गया हैक्या तुम्हे अब भी मुझपे विस्वास है??तो खुद के गुरूर, नूर को मत मारो क्योंकि ये सब लोगो की बातें है,क्योंकि ये सब लोगो की बातें है।दुनियां देखो, जिंदगी जियो, क्योंकि हक तुम्हे अब भी है।इस दुनिया कि बातों को खुदगर्ज रिवाजों को छोड़ो,क्योंकि हम दोनों अब भी एक साथ हैएक साथ है।।