Featuring Mridula || चाहूँ बस इतना || Dastaan Ae Kalam
About Dastaan Ae Kalam : दास्तान ए कलम is a grand contest in collaboration with अंदर की आवाज़, Mirror Of Emotions and दिल की आवाज़ . It was a 3 round contest which was popular among many writers and non writers. 100+ people registered for the sameFeaturing Mirdula ! More about Mridula :"मैं मृदुला, गोरखपुर (उत्तरप्रदेश) की निवासी हूँ। मैं एक हिन्दी भाषी कवयित्री एवं लेखिका हूँ और मनमौजी मृदुला उपनाम से अपनी रचनाएं लिखती हूँ।"चाहूँ बस इतना :जना है ये संसार मैंने, जीवनदायिनी, हूँ जननी मैंपलने दो, बढ़ने दो, ना कोख में मेरा संहार करो,शिक्षित होगा मुझसे ही, ये कुटुम्ब और समाजमुझे पढ़ने दो, मेरी शिक्षा पर तुम यूँ ना वार करो,पौधा हूँ कोमल-सा, खिलने दो, होने दो सशक्तबाल-विवाह कर, बालमन पर मेरे ना प्रहार करो,सामर्थ्य है मुझमें उड़ने का, खोल दो पिंजरे मेरेमुझे रोकने का तुच्छ प्रयास, यूँ ना बार-बार करो,धन-दौलत, बंगले-गाड़ी से क्यों तौलते हो मुझेनहीं हूँ चीज बिकाऊ, ना मेरा तुम व्यापार करो,माँ-पत्नी-बहू-बेटी, तुम्हारे परिवार का आधार हूँचाहे ना मान करो, पर ना मुझपे अत्याचार करो,ना तो श्रृंगार, ना ही है मुझे गहनों की लालसाजो देना कुछ चाहो, तो थोड़ा तुम सम्मान करो,कसूर नहीं मेरा, जो छीन लिया भाग्य ने सिंदूरबेरंग सी ज़िन्दगी जीने को, मुझे ना लाचार करो,सती-प्रथा के नाम पर मुझे जलाते रहे हो जिन्दाप्रथाओं की झूठी बेड़ियों में अब ना गिरफ्तार करो,बात-बात पर झूठा मान आहत हो जाता है तुम्हाराअब तो दूर अपने कुंठित मन का ये विकार करो,चलो माना, हूँ सुंदरता और आकर्षण की मूरतना डालो कुदृष्टि, अस्मत को मेरी ना तार-तार करो,ना रखो उपवास, ना पूजो बनाकर तुम देवी मुझे,प्रसन्न करने को मुझे, ना तुम मेरा गुणगान करो,ना हो खड़े, ना ही लड़ो तुम मेरे अधिकारों के लिएकर समर्थन मेरा, ना मुझपे तुम कोई उपकार करो,चल ना सकें सिर उठा कर तुम्हारी अपनी बेटियाँकम से कम इतना दूषित तो ना ये समाज करो,रंग-रूप या मेरा आचरण, क्यों चाहते हो बदलनाजो हूँ, जैसी भी हूँ मैं, वैसे ही मुझे स्वीकार करो,मैं भी तुम-सी ही इंसान हूँ, उसी ईश्वर की रचनाचाहूँ बस ये, मुझसे एक इंसान-सा व्यवहार करो।