Featuring Sakshi Shrivastva || पिता का पत्र || SIV Writers
Featuring Sakshi Shrivastva !More about Sakshi Shrivastva : "मेरा नाम साक्षी श्रीवास्तव है, मैं रीवा मध्य प्रदेश की रहने वाली हूं।मैं DeElEd फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट हूं और पार्ट टाइम टीचर भी हूं।लिखना मेरा शौक है मैं हिंदी में कविताएं और शायरियां लिखती हूं।"पिता का पत्र :(यह एक पत्र है एक पिता की तरफ से जो कि अब इस दुनिया में नहीं है, अपनी बेटी के लिए)बेटा सुनो मैं देखता हूं तुम उदास हो जाती हो,मुझे याद करके अपनी आंखें नम करती हो,मेरा केवल शरीर तुमसे दूर है,पर मेरी रूह हमेशा तुम्हारे पास है, तुम मेरा नाम रोशन करोगी,मेरी आज भी यही आस है।मेरे साथ बैठकर तुम खाना खाया करती थी,मैं अगर नाराज हो जाऊं तो मुझे हर तरह से मनाया करती थी,मेरे जन्मदिन की खुशी मुझसे ज्यादा मनाया करती थी,अपने हाथों से मेरे लिए केक बनाया करती थी, मेरी पसंद का तोहफा लाया करती थी,मुझे याद है तुम अपनी मां से ज्यादा अच्छी गाड़ी चलाया करती थी।अरे हां, मां कैसी है?मैं यहां हूं फिर भी उसे याद करता हूं,यहां रब से उसकी सलामती की फरियाद करता हूं।वह जो मेरे बिना 1 दिन भी नहीं रहती थी,मेरी हर डांट चुपचाप सहती थी,पता नहीं मेरे बिना कैसे रहती है,मेरी तस्वीर के आगे रोती रहती है,सारा दुख और दर्द चुपचाप सहती है,बेटा,उसे कभी सताना मत,मेरे ना रहने पर कभी उस पर रौब जमाना मत,जिसने तुम्हारे लिए पूरी जिंदगी दे दी,उसकी आंखों में कभी आंसू लाना मत,बिट्टू (my father used to call me that)बस अब इतना ही कहूंगा किअब तुम्हें संभालना है सब,सोचना है कि कैसे क्या करना है कब,सबका ख्याल रखना,क्योंकि मैं वहां नहीं हूं अब।