Featuring Priyanka Singh || नन्हे पाँव || SIV Writers

Featuring Priyanka Singh !More about Priyanka Singh : यह उत्तरप्रदेश जालौन से प्रियंका सिंह है। वह बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय झाँसी से bsc माइक्रोबायोलॉजी ऑनर्स की पढ़ाई कर रही है। वह माइक्रोस्कोपियामी में गोल्ड और सिल्वर मेंबरशिप विजेता है और वह ओनलाइफिनफिन्टीहापीनेस काम कर रही है, जो कि कलाम फाउंडेशन के तहत है और वह नोबल रीडिंग और ओरिगामी, राइटिंग भी पसंद करती है। वह 50+ एंथोलॉजी के सह-शिक्षक हैं। वह कर्म में विश्वास करती है। वह एमटी केन्या के समय में चित्रित किया गया है।नन्हे पाँव :क्यूं पराया अपना ही आँगन है,क्यूं फर्क नहीं पड़ता कि क्या उसका मन है,क्यूं सपने उसके बंद दिवारों में खो गये,क्यूं खाब बिन जागे ही सो गये।उड़ने को मांगे थे पंख जो अब टूट के कहीं बिखर गये,दूनिया घूमने वाले कदम अब जंजीरों में कैद हो गये ।रंग भरी थी ख्वाहिशें पर बस लाल जिंदगी का रंग हुआ, रोशनी की तलाश में मिला बस अंधेरों से भरा एक खाली कुँआ ।ख्वाब देखा एक रात उसने कि टूट गयी पैरों की बेडि़या ,भाग धून में लिए कंधों पर बस्ता मस्ती में घूमे वो गाँव की गलियाँ ।किताबों की दुनिया में मन था लगाया अपना ,छोटी छोटी आँखों से देख रही है वो पैरों पे खडे़ होने का बडा़ सा सपना, दौड़ रही थी सड़कों पे हाथ सियाही लिए ,अंधेरे कुंए नहीं पर जल रहे थे उज्जवल दीए ।अचानक एक आवाज से नींद थी उसकी टूट गयी ,फिर एक करवट में जिंदगी थी बिखर गयी ।आँखें मँ देख रही थी इधर उधर ,सोच रही थी हाथों की किताबें आखिर गयी किधर ।एहसास हुआ जब हकीकत का अपने,टूट गये फिर फिर वो प्यारे से सपने ।न कोई बस्ता, न कोई सियाही, न कोई किताब थी ,हिस्से में उस मासुम के बस अनेक जिम्मेदारी रही ।धूप भरे जीवन में ढू़ढे वो थोडी़ सी छाँव ,ना जाने कब छूट पायेंगे जंजीरों से उसके ये नन्हे पाँव।Written by:Priyanka Singh

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