वेदों को अपौरुषेय क्यों कहते हैं ?
हिन्दू धर्म में वेदों के सन्दर्भ में अपौरुषेयतावाद वह मत है जो मानती है कि वेद 'अपौरुषेय' हैं अर्थात् वेदों को किसी ने नहीं रचा है - न तो मनुष्य ने और न ही किसी दैवी शक्ति ने। वेदों को 'अपौरुषेय शब्द' से भी कहते हैं।आज 'चतुर्वेद' के रूप में ज्ञात इन ग्रंथों का विवरण इस प्रकार है -ऋग्वेद - सबसे प्राचीन तथा प्रथम वेद जिसमें मन्त्रों की संख्या १०५५५ है। इसका मूल विषय आत्म ज्ञान है। विभिन्न देवताओं का वर्णन है तथा ईश्वर की स्तुति आदि।सामवेद - इस वेद का प्रमुख विषय उपासना है। संगीत में गाने के लिये १९७५ संगीतमय मंत्र।यजुर्वेद - इसमें कार्य (क्रिया) व यज्ञ (समर्पण) की प्रक्रिया के लिये ३७५० गद्यात्मक मन्त्र हैं।अथर्ववेद - इसमें गुण, धर्म, आरोग्य, एवं यज्ञ के लिये ७२६० कवितामयी मन्त्र हैं।