तूफान क्यूं आते हैं

शान्त कर कमरें की हर आवाज को जब भी उठाता हूँ मैं कलम दो - चार पंक्तियाँ लिखने को कागज़ उठकर मुझसे मुँह मोड़कर झरोखो की ओर चले जाते है जाने ये बारिश क्यूं आये दिन दस्तक देने मेरे दहलीज़ पर चली आती है खिड़खियाँ हवाओं से धकेलकर मेरे मेज़ को झमाझम फूहारों से गीला कर देती हैं और उसको चरमराने पर मजबूर कर देती है  - purnima

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