आओगे क्या

आँखें मेरी नींद के मारे झपकी सी जाती है, तुम्हें निहारते रहने के लिए अगर इन्हें मैं एक टक खोल कर रखूँ तो तुम अपनी नींद से उठकर मेरी इन आँखों को सुकून के दो-चार पल देने को आओगे क्या ?

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