कहीं तो रह गया हूँ (Kahin to rah gaya hun)

बजरंग बिश्नोई (Bajarang Bishnoi) द्वारा रचित कविता 'कहीं तो रह गया हूँ' का अनुवाचन बजरंग बिश्नोई (जन्म : 1944) पचास से अधिक वर्षों से कविता के इलाक़े में सक्रिय हैं।  वह समय-समय पर प्रकाशित होते रहे हैं, लेकिन उनकी कविता पर नज़र कम गई है।  ‘हरारत में तीसरी नदी’ उनका कविता-संग्रह है। उनसे bajrangbishnoikalpi@gmail.com पर बात की जा सकती है। --- This episode is sponsored by · Anchor: The easiest way to make a podcast. https://anchor.fm/app

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