man mar liya
मैं तो उन संतन का दास जिन्होंने मन मार लियामन मारा तन बस करा रे हुवा भरम सब दूरबाहर तो कछु दीखत नाहीं अन्दर चमके नूरकाम क्रोध मद लोभ मार के मिटी जगत की आसबलिहारी उन संत की रे प्रकट करा है प्रकासआपो त्याग जगत में बैठे नहीं किसी से कामउनमें तो कछु अंतर नाही संत कहो चाहे रामनरसीजी के सतगरू स्वामी दिया अमीरस पायएक बूंद सागर में मिल गयी क्या तो करेगा जमराज